छोटे बच्चो को कैसे समझदार, बुद्धिमान व पढ़ाएं | How to be sensible, intelligent and teach small children

छोटे बच्चो को कैसे समझदार, बुद्धिमान व पढ़ाएं | How to be sensible, intelligent and teach small children



1. बच्चो को बताने से पहले उसे खुद पढें, देखें, गुने और आजमाए फिर उसे छोटे बच्चो को सिखाएँ।

छोटे बच्चो को कोई भी आवश्यक जानकारी, ज्ञान व तकनीक बताने और सिखाने से पहले उसे खुद भी एक बार आजमाकर देख लें व उसकी गुन्नवता परख लें उसके गुण व दोषों से परिचित होकर ही उस ज्ञान को अपनी अगली पीढ़ी को स्थानांतरित करें। छोटे बच्चो को किताबी ज्ञान से भी ज्यादा व्यवहारिक ज्ञान व तकनीकी कौशल से रूबरू करवाएं। छोटे बच्चो को उनके काम आने वाली जानकारी तर्क व तत्थों के साथ बतायें।

2. खुद सीखने और छोटे बच्चो को सिखाने की इस प्रतीकात्मक प्रकिया को जारी रखें। नन्हें छोटे बच्चो पर हाथ उठाकर अपना अहंकार से भरा शक्ति प्रदर्शन न करें।

छोटे बच्चो को कुछ बताते व सिखाते समय माता-पिता अक्सर अपना आपा खो बैठते हैं और क्रोधित होकर छोटे बच्चो को डांटने लग जाते हैं और अधिक गुस्सा आने पर छोटे बच्चो की पिटाई भी कर देते हैं। याद रखें छोटे बच्चो को जो भी सिखाएँ उनकी उम्र और मानसिक क्षमता व रूचि के हिसाब से एक सहपाठी बनकर बतायें। जो कुछ बतायें उदहारण के साथ बतायें ताकि वो अपने स्तर पर चीजों को जोड़ के देख समझ पायें।

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3. किसी और व्यक्ति के सामने छोटे बच्चो को भला बुरा, मूर्ख व मंदबुद्धि आदि न कहें फिर चाहे वो व्यक्ति घर का सदस्य ही क्यों न हो।

हमारी और आपकी तरह छोटे बच्चो का भी अपना मान स्वाभिमान होता है। अगर उन्होंने जानकारी के अभाव में या जाने अनजाने में कोई गलती कर दी हो तो अभिभावकों को चाहिए कि वो अकेले में उन्हें वो बात ठीक तरह से बता दें नाकि सबके सामने उनकी बेइज़्ज़ती कर दे और पिटाई कर दें इससे उनके कोमल हृदय को गहरी ठेस पहुंचती है।

छोटे बच्चो को कैसे समझदारबुद्धिमान व पढ़ाएं | How to be sensible, intelligent and teach small children 

4. बच्चे यदि उम्र में छोटे हों और नाबालिग हों तो उन्हें खेल-खेल में विभिन्न प्रकार के खिलौनों के माध्यम से उन्हें सिखाएं।

हर बच्चे के सीखने का तरीका और प्रवत्ति एक दूसरे से अलग होती है। बच्चे अपने तौर-तरीके से चीजों को उलटकर पलटकर, फेंककर, घिसकर व मरोड़कर सीखते हैं फिर जैसे-जैसे उनकी उम्र बढ़ती है उनका व्यवहारिक तजुर्बा भी बढ़ता है वो चीजों को उठाकर लाना व जोड़ना भी सीख लेते हैं। उन्हें ज्यादा से ज्यादा खेलने दें उन्हें अपनी सहज बुद्धि व खुद के अनुभव का उपयोग करने दें। थोड़ा बतायें ज्यादा उन्हें अपने आप ही करने दें।

5. एक समझदार अभिभावक के तौर पर छोटे बच्चो को आगे बढ़ाने के लिए हमेशा एक सकारात्मक सोच के साथ छोटे बच्चो का आत्मविश्वास व मनोबल बढ़ाएं।

छोटे बच्चो के क्रोधित होने पर, कोई गलती करने पर, मारपीट, तोड़-फोड़ व नुकसान पहुंचाने की स्थिति में भी आपको एक समझदार व अनुभवी अभिभावक के तौर पर पूरी समझदारी, सकारात्मक ऊर्जा व आत्मसयंम के साथ उन्हें सही दिशा में आगे बढाने की कोशिश करते रहना चाहिए ताकि उनका अपना मनोबल, आत्मविश्वास व उर्जा कभी कम न होने पाये।

6. छोटे बच्चो के चौतरफा विकास के लिए उन्हें अपनी उम्र के साथियों (छोटे बच्चो) के साथ विभिन्न प्रकार के खेल अवश्य ही खेलने दें।

बचपन में हर प्रकार के छोटे बच्चो को अपनी उम्र के साथियों के साथ अधिक से अधिक खेलना चाहिए क्योंकि खेलों के कारण ही उनमें कुछ खास गुणों का विकास होता है जैसे कि साथ मिलकर कार्य करना। तनाव को कम करने की कला, तेज रफ्तार से कार्य करना। चुनोती स्वीकार करने व तालमेल बिठाने जैसे कार्य करते हुए आगे बढ़ना।

7. छोटे बच्चो को प्रारम्भ से ही अच्छी किस्म की किताबें लाकर दें और उनमें किताबें पढ़नें की अभिरुचि पैदा करें।

जिस दिशा में आप अपने बच्चे को विकसित करना चाहते हैं उस दिशा में  शुरू से ही उन्हें ट्रेनेड करना चाहिए। जैसे यदि आप को खाली समय में किताबें पढ़ने का शौक है तो ये भी प्रबल संभावना है कि वो भी इसमें धीरे-धीरे रुचि रखने लगेगें। किताबों में अभिरुचि भी एक ऐसा ही मसला है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण बताते हैं कि छोटी उम्र में ही छोटे बच्चो में किताबों के प्रति खास रुचि पैदा किया जा सकता है।

8. किसी भी प्रकार की परिस्थितियों में न खुद ऊंचे स्वर में बात करें न अपने छोटे बच्चो को ऊँची आवाज़ में बोलने के लिए प्रोत्साहित करें।

छोटे बच्चो का जो भी नजरिया बडे होकर विकसित होता है उसकी नींव बालपन में ही रखी जाती है। जिसमें से एक है तमीज़ व तहजीब से बात करने की कला। जो माता-पिता शालीनता से बातचीत करने की कला को बारीकी से जानते हैं वे ऐसा करके घर मे एक खास तरह का माहौल बना सकते हैं। छोटे बच्चो को भी बात करने का सही कौशल पता चलता है। एक सही माहौल मिलता है।

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9. जल्दबाजी में भी अपने छोटे बच्चो के सामने स्वमं अपने घर को अव्यवस्थित न करें। जब भी वक्त मिले घर को सुनियोजित व व्यवस्थित करें।

बच्चे जब आपके करीब होते हैं वो आपको  व आपके किर्याकलापों को बड़ी बारीकी से देखते व समझते हैं वो देखते हैं आप जब बाहर से आते हो तो आपका शरीर व मस्तिष्क कैसा आचरण करता है जब आलस में होता है तब आप कैसे आचरण करते हो। घर को ठीक व व्यवस्थित रखने में आप कितना योगदान देते हैं। कालांतर में बच्चे यही सब खुद भी दोहराते हुए नज़र आते हैं।

10. छोटे बच्चो में चीजों व घटनाओं को वास्तविक रूप में देखने व समझने का सही तरीका व नजरिया विकसित करें।

छोटे बच्चो को चीजों को उलट-पलट के देखने दो ताकि वो अपनी बुद्धि के अनुसार चीजों को समझ सकें। उन्हें उत्सुकता वश, जिज्ञासा वश सवाल करने दें। उन्हें अपना खुद का नजरिया विकसित करने दें। प्रथम बार में ही उनकी राय को गलत न ठहराए।

11. छोटे बच्चो को अपने साथ बैठाकर कभी कभी कुछ  चुनी हुई व प्रेणादायक फ़िल्म दिखाएं।

अच्छी व प्ररेणादायक फिल्में भी देखने से आपका अवचेतन मन ठीक दिशा में काम करने लगता है। जो फिल्में किसी महान व्यक्ति के जीवन में हुई सत्य घटनाओं पर आधारित हैं उन्हें खुद भी देखें और अपनी देखरेख में छोटे बच्चो को भी दिखायें। इससे उन्हें वास्तविकता का ज्ञान होता है और वे अपना खुद का लक्ष्य व नजरिया विकसित कर पाते हैं।

कृपया कमेंट करें और बताये की आपको ऊपर दी गयी जानकारी कैसी लगी |

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